भगवा जर्सी, हवन, ज्योतिषी की भविष्यवाणी… फिर भी इंडिया विश्वकप क्यों हारा???

इधर कुछ वर्षों से भारतीय मीडिया का भांडपन व ओछापन तेजी से बढ़ा है… हर विषय को सतही और घटिया स्तर का इवेंट बना देना, बच्चों जैसी उछल-कूद टाइप की हरकतों को तथाकथित न्यूज की तरह परोसने लगना, बेमतलब की हाईप क्रियेट करना भारतीय मीडिया की कारिंदों का मानसिक दिवालियापन दर्शाता है… मीडिया की हरकतें, खबरें और उनका प्रसारण का स्तर “अविकसित दिमाग” वाले बच्चों की तरह होता है…
यह स्थिति केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ही नहीं है बल्कि थोड़ी बहुत गंभीरता शेष वाले प्रिंट मीडिया में भी हो चली है… वह भी किसी “नवजन्मे बछड़ा टाइप खबरों” का प्रस्तोता हो चला है…। भारतीय मीडिया ने क्रिकेट विश्व कप को राजनीति और धर्म तक के काकटेल में सजाते हुए उसे राष्ट्रीय स्वाभिमान तक से जोड़ दिया…. क्रिकेट को मात्र एक खेल से ढकेल कर उसे जिस तरह से फूहड़ता भरी लंतरानी तक भारतीय मीडिया ने पहुंचाया, ऐसे उदाहरण आपको सम्पूर्ण विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलेंगे…
क्रिकेट विश्वकप का फाइनल आते-आते न्यूज चैनलों ने अपने स्टूडियो में ज्योतिषियों का जमावड़ा लगा डाला… लाइव बहस करा डाली… जिन ज्योतिषियों को विगत वर्षों में हुई तमाम भयावह आपदाओं और मानवीय जीवन क्षति की जानकारी तक न ही और न रहती है… वो क्रिकेट का विश्वकप कौन जीतेगा यह बताने एकत्र हुए थे…
कभी आपने सुना कि क्रिकेट खेलने वाले किसी देश के न्यूज चैनलों ने अपने न्यूज रूम में पादरी, फादर, मौलाना, मौलवी, गुरू को… बैठाकर क्रिकेट का प्याज छीला हो? कभी आपने ने ऐसे किसी भी देश के किसी अखबार में चार-चार पेज की बुकनू टाइप लंतरानी देखी कि फलां बेकरी वाले बल्ले, बाल के आकार का केक बना रहे हैं….
पान की दुकान वाला कोहली और शमी नाम का स्पेशल पान बना रहा है… फलां लोग ढोल और नगाड़े बुक कर रहे हैं… दस घंटों के लिए सड़कें सूनी… काम ठप्प…. कहीं कोई बाबा हवन कर रहा है तो कहीं चंद सिरफिरे लोग टीम इंडिया की जर्सी पहनकर हवन कर रहे हैं….
चैनलों और अखबारों में उनकी खबरें हैं…. ये फूहड़ता, ऐसा बचकानापन, ऐसा पागलपन, ऐसा मानसिक दिवालियापन आपको विश्व के किसी भी क्रिकेट प्रेमी देश में देखने को नहीं मिलेगा… अब तो हर सब्जेक्ट में राजनीति की सड़ांध का तड़का है… क्रिकेट को “राजनीति साधने का साधन” बनाने की पुरजोर कोशिश हुई, वह बात अलग है कि जिस टीम ने बेहतर खेला वह जीती और जिस राजनीतिक मंशा से क्रिकेट खिलाड़ियों की टी-शर्ट का रंग नीले से होता हुआ फाइनल में अंततः भगवा हुआ…
वह मंशा फलीभूत न हो सकी… जाहिर सी बात है कि इतनी हाईप के बाद जो ठेस आम भारतीयों को लगनी थी, वह लगी,जो कि स्वाभाविक थी… इस मंशा के दूरगामी परिणाम होंगे, ऐसा मेरा मानना है, इस पर फिर कभी लिखूंगा लेकिन एक जेंटिलमैन खेल को भारतीय मीडिया ने सड़कछाप बनाकर रख दिया…
भारतीय मीडिया ने इस खूबसूरत और देश के सबसे लोकप्रिय खेल को कम्युनल यानी सांप्रदायिक बनाने की जिस तरह से घटिया स्तर की कोशिश की, वह भी पहली बार देखने को मिला… पालतू मीडिया के लोग मोहम्मद शमी की पत्नी का साक्षात्कार करके, कुछ न कुछ निगेटिव करने की जुगत में लगे रहे, पूरे विश्व ने देखा कि वसुधैव कुटुंबकम् का तथाकथित नारा गढ़ने वाला देश कैसे कम्युनल हो चुका है कि अपने ही देश के एक मुस्लिम खिलाड़ी को गालियां दे रहा है…
याद करिये जब शमी से केन विलियमसन का कैच छूट गया था उसके बाद स्टेडियम से लेकर सोशल मीडिया पर नफरती लोगों ने किस तरह के हेट कॉमेंट्स लिखे थे… गद्दार, पाकिस्तानी, पाकिस्तान जा तू, संन्यास ले ले साले… किसी भारतीय खिलाड़ी को ये ताने और भद्दी गालियां सिर्फ इसलिए सुनने को मिल रहे थी क्योंकि उसका नाम ‘मोहम्मद शमी’ है…. खत्म कुछ नहीं होता है आप के शब्द, हरकतें और सोच …सब कुछ वक्त दर्ज करता रहता है…
मीडिया हाइप इस कदर बना कि टीम का हर सदस्य अंतिम मैच में जबरदस्त भावनात्मक दबाव में था क्योंकि इस मैंच को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ दिया गया था… यह केवल एक खेल नहीं रह गया था… क्योंकि इससे किसी के कद को साधने और उसे खुदा बनाने की कोशिशें थीं… धर्म का जोरदार एंगल भी था, राजनीतिक ख्वाहिशें थीं… लेकिन अफ़सोस यह रहा कि सब कुछ स्वाहा हो गया….
कई बार की विश्व चैंपियन टीम आस्ट्रेलिया यानी “अस्त्रालय” ने वो सारे अस्त्र निकाल लिये, जो विजय की गारंटी होते हैं… बेहतरीन खेल, बेहतरीन रणनीति, कोई दबाव नहीं, दूसरों की महत्वाकांक्षाओं का कोई बोझ नहीं, अस्त्रालय की मीडिया की किसी भी तरह की लफ्फाजी नहीं…. न ही आस्ट्रेलिया के किसी राजनीतिक दल के ख्वाहिशों का कोई बोझ….न हि जर्सी का रंग बदला न ही खेल भावना… और आस्ट्रेलिया विश्वकप जीता…
आस्ट्रेलिया ने स्वाभाविक खेल खेला, बेहतरीन खेला… भारत की पूरी टीम भी जबरदस्त खेली… खेल को खेल की तरह लें… आशा करता हूं भारतीय मीडिया आगे से “नवजात बछड़ा टाइप” ख़बरों से परहेज़ करेगा, हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है… आस्ट्रेलिया यानी अस्त्रालय को बधाई…
