क्या सोनिया गांधी से प्रधानमंत्री नहीं बनने की अपील के कारण सहारा का हुआ पतन???

सहारा श्री का जलवा दुनिया ने देखा है… बेटों की शादी पर लखनऊ में अमिताभ बच्चन ही नहीं पूरा बॉलीवुड नाचा था… उन दिनों में सहारा का जलवा चरम पर था… फ़ाइनेंस कंपनी, मीडिया चैनल, क्रिकेट टीम की स्पॉन्सर, एयरलाइंस, एंबी वैली होटल था… अब ये सब डूब गया हैं…
सहारा का मूल काम था लोगों के पैसे जमा करना और उसे ब्याज समेत लौटा देना… RNBC रेसिडुल नॉन बैंकिंग कंपनी का लाइसेंस था… ये काम ठीक ही चल रहा था सहारा की मुश्किल बढ़ी जब उसने बाक़ी बिज़नेस खोले… नए बिज़नेस के लिए पैसों का एक सोर्स लोगों के डिपॉजिट थे … सहारा को डिपॉजिट के हर ₹ 100 में से ₹ 80 सरकारी बॉन्ड में लगाने थे बाक़ी ₹20 कंपनी जहां चाहें वहाँ लगा सकती थी… ये नए बिज़नेस पैसे नहीं बना पाएँ चाहे एयरलाइंस हो या होटल या फिर मीडिया का कारोबार… इससे सहारा का नाम तो बड़ा होता चला गया लेकिन पैसा डूबता रहा…
सहारा के रिस्क भरे बिज़नेस में राजनीति का भी तड़का था… सुब्रत राय ने दस साल पहले दावा किया था कि 2004 में सारी मुश्किल की जड़ है… अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अप्रत्याशित रूप से लोकसभा चुनाव हार गई थी… कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनने वाली थी… उस समय सुब्रत राय ने सोनिया गांधी से सार्वजनिक अपील की थी कि वो इटली में पैदा हुई है, इसलिए देश की प्रधानमंत्री ना बनें…
अगले दस साल में सहारा का पतन हो गया… रिज़र्व बैंक ने सहारा की जाँच शुरू कर दी… सहारा से कहा गया कि डिपॉजिट के पूरे ₹100 सरकारी बॉन्ड में लगाने होंगे… 2008 में आकर रिज़र्व बैंक ने सहारा पर नए डिपॉजिट लेने पर रोक लगा दी और 2015 तक सारा कारोबार बंद करने के लिए कह दिया… सहारा ये आदेश मान कर भी जैसे तैसे बच सकता था… फंड उगाही के लिए एक और चोर रास्ता खोज निकाला…
शेयर बाज़ार से पैसे उगाहने के लिए SEBI से अनुमति लेनी होती है… सहारा ने बिना अनुमति ₹25 हज़ार करोड़ उगाह लिए… SEBI सुप्रीम कोर्ट गया… कोर्ट ने कहा कि पैसे निवेशकों को वापस लौटाएँ… सहारा श्री को जेल भेज दिया… सहारा ने ₹15 हज़ार करोड़ जमा करा दिए… फिर सहारा उठ नहीं पाया…
सहारा में पैसे लगाने वाले ही लापता हैं… सहारा ने ₹ 15 हज़ार करोड़ जमा करवा दिए हैं… ब्याज जोड़कर ये अब ₹ 25 हज़ार करोड़ हो गए हैं… कोर्ट ने पैसे लौटाने के लिए कमेटी बनाई है… अब तक सिर्फ़ ₹ 138 करोड़ लौटाए हैं… कोई पैसे लेने ही नहीं आ रहा है…
केंद्र सरकार ने ₹ 25 हज़ार करोड़ में से ₹ 5 हज़ार करोड़ सुप्रीम कोर्ट से पूछ कर निकाल लिए हैं… सहारा ने सहकारिता समितियों के ज़रिए भी पैसे उगाहे थे… सरकार ने प्रति डिपॉजिटर ₹ 10 हज़ार देने की स्कीम चलाईं है… अब तक 33 लाख लोग पैसे माँगने आएँ हैं… सरकार ने संसद को बताया था कि 13 करोड़ लोगों के ₹ 1 लाख करोड़ सहारा में लगे हैं…
सबसे बड़ा सवाल यही है कि ये 13 करोड़ लोग कौन हैं जिन्हें अपने पैसे वापस नहीं चाहिए… ये लोग अस्तित्व में है भी या नहीं?… अब सहारा श्री के निधन के बाद इस सवाल का जवाब शायद कभी नहीं मिलेगा कि सहारा में किसका पैसा लगा है?
