अंधविश्वास, जाति वर्ण व्यवस्था, बलि प्रथा, सती प्रथा को 19वीं सदी झेल रहे है…

1802 में महान ईसाई मिशनरी विलियम कैरी ने अपने सहयोगी विलियम वार्ड के साथ बंगाल के सॉगोर नदी द्वीप पर शिशुहत्या का अध्ययन किया…
कई महिलाओं ने पवित्र गंगा नदी से मन्नतें मांगीं कि “अगर उन्हें दो बच्चे हुए तो एक को नदी में अर्पित कर दिया जाएगा” उन्होंने अनुमान लगाया कि हर साल कम से कम 100 बच्चों से अधिक की बलि दी जा रही थी…
विलियम कैरी ने अपने पिता को ऐसे ही एक बलिदान के बारे में बताया: एक नाविक ने एक डूबते हुए बच्चे को अपनी नाव में खींच लिया… उसने शिशु को उसकी माँ के सामने प्रस्तुत किया… माँ ने बच्चे को ले लिया, उसकी गर्दन तोड़ दी और उसे फिर से नदी में फेंक दिया…
यह था 19वीं सदी का भारत. अंधविश्वास, जाति वर्ण व्यवस्था, बलि प्रथा, सती प्रथा यह सब बुराई मुग़लों और ब्रिटिश के आने से पहले भारत के संस्कृति, सभ्यता और संस्कार का हिस्सा था…
अंग्रेजों ने इन बुराईयों को खत्म किया…
